2024-25 सत्र में भी मातृभाषा में पढ़ाई अनिश्चित, कोर्स बुक्स की तैयारी अधूरी
2024-25 सत्र में भी मातृभाषा में पढ़ाई अनिश्चित, कोर्स बुक्स की तैयारी अधूरी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 2024-25 सत्र से मातृभाषा में शिक्षा की योजना को लेकर अब तक बिलासपुर जिले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। शासकीय स्कूलों में पढ़ाई के लिए कोर्स बुक्स तैयार नहीं हो पाई हैं, जिससे हजारों बच्चों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
हालिया सर्वे में यह बात सामने आई कि कक्षा पहली के करीब 66 प्रतिशत बच्चे हिंदी के बजाय छत्तीसगढ़ी में संवाद करते हैं। ऐसे में हिंदी माध्यम से पढ़ाई करना उनके लिए कठिनाई पैदा कर रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों पर पड़ रहा है।
हालांकि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुए चार साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक शासकीय स्कूलों में इसे सही ढंग से लागू नहीं किया जा सका है। नीति के अनुसार, शुरुआती पांच सालों तक बच्चों की शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी, और कुडुख जैसी स्थानीय भाषाओं में कोर्स तैयार करने की योजना थी, लेकिन इन भाषाओं में अब तक पाठ्यक्रम तैयार नहीं किए जा सके हैं।
मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के संयोजक नंदकिशोर शुक्ल ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई की शुरुआत जल्द नहीं की गई, तो बच्चों की शुरुआती शिक्षा कमजोर हो सकती है। उन्होंने शिक्षा विभाग से अपील की कि इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू किया जाए, ताकि बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा मिल सके और उनकी समझने की क्षमता बेहतर हो सके।
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