छत्तीसगढ़ में 5वीं-8वीं बोर्ड परीक्षा की वापसी

शिक्षा सुधार की दिशा में बड़ा कदम 5वीं और 8वीं बोर्ड परीक्षा की हुई वापसी
छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में बच्चों को पास और फेल करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी, और 1 अप्रैल 2010 से लागू हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत पहली से आठवीं तक के बच्चों को निरंतर पास किया जा रहा था। इस व्यवस्था के तहत किसी भी कक्षा में बच्चों को नहीं रोकने का प्रावधान था, और कमजोर बच्चों के लिए रेमेडियल टीचिंग की व्यवस्था की गई थी।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रणाली ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और अनुशासन पर विपरीत प्रभाव डाला है। निजी और मॉडल स्कूलों में रेमेडियल टीचिंग की व्यवस्था होने के बावजूद, ज्यादातर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नुकसान हुआ है। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और कसावट लाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद एक बार फिर 5वीं से 8वीं तक की बोर्ड परीक्षा शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
राज्य सरकार जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लेगी। पहले 5वीं और 8वीं की परीक्षा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आयोजित की जाती थी, जिसमें 5वीं के लिए जिला प्राथमिक बोर्ड परीक्षा और 8वीं के लिए संभागीय पूर्व माध्यमिक बोर्ड परीक्षा होती थी। अब प्रदेश में संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय होने से इन परीक्षाओं की जिम्मेदारी बड़े अधिकारियों को सौंपी जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था से अभिभावक और शिक्षक भी सतर्क हो जाएंगे, और कापियों की जांच एक-दूसरे स्कूल में होगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
1 अप्रैल 2010 से आरटीई लागू होने के बाद से परीक्षा व्यवस्था बंद कर दी गई थी। लेकिन अब नई व्यवस्था में कसावट की उम्मीद की जा रही है, जिससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा। केंद्र सरकार ने भी 8वीं तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव करके राज्य सरकारों को पास और फेल करने का अधिकार दे दिया है। मध्यप्रदेश ने पहले ही 5वीं-8वीं बोर्ड परीक्षा के लिए नियमावली जारी कर दी है, और अब छत्तीसगढ़ भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
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