खाट की एंबुलेंस में तड़पता रहा घायल, 10 किमी पैदल चले पर नहीं आई 108

खाट की एंबुलेंस में तड़पता रहा घायल, 10 किमी पैदल चले पर नहीं आई 108

खाट की एंबुलेंस में तड़पता रहा घायल, 10 किमी पैदल चले पर नहीं आई 108 I

 बस्तर जिले के बोदली पंचायत के कचेनार गांव तक सड़क नहीं है। गुरुवार की शाम को इस गांव का कमलू पुत्र पंडरू (14) इमली तोड़ते हुए पेड़ से गिरकर घायल हो गया। गांव में कोई चिकित्सा सुविधा नहीं होने से स्वजन जंगली जड़ी-बूटी से कमलू का उपचार करते रहे। सुबह हुई तो ग्रामीण खाट को एंबुलेंस बनाकर घायल कमलू को अस्पताल तक पहुंचाने 10 किमी पैदल चल कर सुबह नौ बजे एरपुंड पंचायत के मालेवाही पहुंचे। यहां से 108 वाहन को सूचना दी गई। ग्रामीण पांच घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करते रहे और इस बीच घायल कमलू दर्द से तड़पता रहा।

सात-आठ बार सूचना देने के बाद भी जब एंबुलेंस नहीं आई तो ग्रामीण उम्मीद हार बैठे। घायल कमलू की परेशानी देखकर स्वजन दंतेवाड़ा जिले के बारसूर पहुंचे और निजी स्कार्पियो वाहन को बुक करवाया और घायल को दोपहर तीन बजे बारसूर अस्पताल लेकर पहुंचे। आखिरकार नौ घंटे बाद घायल कमलू का उपचार शुरू हो सका। एरपुंड से जिला मुख्यालय बस्तर की दूरी लगभग 120 से 130 किमी है। दंतेवाड़ा जिले की दूरी मात्र 35 किमी है। जिले के सीमा क्षेत्र का गांव होने के कारण शासन-प्रशासन का ध्यान गांव के विकास की ओर नहीं है।

बस्तर में सैकड़ों गांव अब भी पहुंचविहीन

बस्तर के दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर सहित अन्य जिले में सैकड़ों गांव ऐसे हैं जो पहुंचविहीन हैं। शासन-प्रशासन यहां तक सड़क बिछाने का प्रयास कर रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से भी सड़कों के निर्माण में बाधा आती है। इसके बाद भी सुरक्षा बल की सहायता से कई क्षेत्रों तक सड़क पहुंचाई गई है। इससे उन गांव तक शासन-प्रशासन की पहुंच संभव हो सकी है। बस्तर के अंदरुनी क्षेत्रों में बन रही सड़कों का नक्सली भी विरोध कर रहे हैं। ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित नहीं होने व सड़कों की चौड़ाई को लेकर भी कई क्षेत्र में ग्रामीणों को सामने रखकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

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