बैमा नगोई में 17वीं शताब्दी के आदिशक्ति महामाया धाम में लगता है भक्तों का तांता

बैमा नगोई में 17वीं शताब्दी के आदिशक्ति महामाया धाम में लगता है भक्तों का तांता

बिलासपुर बैमा नगोई में 17वीं शताब्दी के आदिशक्ति महामाया धाम में लगता है भक्तों का तांता I प्राचीन आदिशक्ति महामाया धाम अंचलवासियों के लिए सालों से आस्था का केंद्र बना हुआ है।

 बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। बिलासपुर नगर से लगा ऐतिहासिक ग्राम नगोई अपने गर्भ में अध्यात्म और इतिहास के रहस्यों को समेटे है। मंदिरों, तालाबों और प्राचीन अवशेषों को लेकर अनेक किंवदंतियां बुजुर्गों से सुनने को मिलती है। यहां आदिशक्ति महामाया धाम में मां महामाया विराजित हैं। 17वीं शताब्दी में निर्मित इस भव्य मंदिर की खास बात यह है कि यहां जो भी भक्त पहुंचता है, उन्हें अध्यात्मिक शांति व सुकून का अहसास होता है। मां के सानिध्य में हरे-भरे परिसर में लोग मां की भक्ति में डूब जाते हैं।

इसी वजह से यह प्राचीन आदिशक्ति महामाया धाम अंचलवासियों के लिए सालों से आस्था का केंद्र बना हुआ है।

आदिशक्ति महामाया धाम मंदिर परिसर विशाल वृक्षों से घिरा हुआ है। जहां शिव लिंग के साथ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा है। इस मंदिर के लिए मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई कामना को मां पूरा करती है। लोगों का यह विश्वास खरा भी उतरता है। इसी वजह से जो भी एक बार इस मंदिर में आता है, वह यहां दोबारा आने की चाह रखता है। ऐसे में जिले के लोग तो अक्सर मां के दर्शन के लिए आते हैं और पूरे जीवन मां की भक्ति में डूबे रहते हैं। इसी वजह से यह मंदिर जिले के लोगों के दिल में खास स्थान रहता है।

नवरात्र में लगता है मेला

मां महामाया देवी पर अंचलवासियों की अपार आस्था है। इसी वजह से हर साल चैत्र व शारदीय नवरात्र के नौ दिन यहां भक्तों को तांता लगा रहता है। ऐसे में नौ दिनों तक मेले का माहौल रहता है। इस दौरान गांवों के साथ दूसरे शहर के श्रद्धालु हजारों की संख्या में आकर मां के दर्शन करते हैं।

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