खूंटाघाट के टॉपू में ग्लॉस रेस्टारेंट का विरोध:सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ निर्माण

खूंटाघाट के टॉपू में ग्लॉस रेस्टारेंट का विरोध:सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ निर्माण

खूंटाघाट के टॉपू में ग्लॉस रेस्टारेंट का विरोध:सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ निर्माण, पक्षियों व पर्यावरण को नुकसान, वेटलैंड अथॉरिटी ने दिए जांच के आदेश I

बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित खूंटाघाट जलाशय के बीच बने टॉपू में ग्लास हाउस बनाने के विरोध के बाद अब वेटलैंड अथॉरिटी ने जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले ही पर्यावरण प्रेमियों ने प्रवासी पक्षियों और पर्यावरण को खतरा बताते हुए इसका विरोध किया था। जिसके बाद इस निर्माण कार्य को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बताते हुए वेटलैंड अर्थारिटी से भी शिकायत की गई थी।

रायपुर के रहने वाले पर्यावरण प्रेमी व समाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने दस्तावेजी प्रमाण जैसे प्रशासकीय स्वीकृति, 10 लाख रुपए की अग्रिम राशि का सैंक्शन ऑर्डर, एस्टीमेट, जल संसाधन विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड को बांध स्थल पर जलाशय के पीछे एक हेक्टर भूमि हस्तांतरित कर कॉटेज एवं अन्य निर्माण की अनुमति के साथ शिकायत कर निर्माण कार्य को निरस्त करने की मांग की थी। साथ ही यह भी बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार खूंटाघाट जलाशय का टापू वेटलैंड एरिया में आता है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचित किया है।

इस शिकायत पर छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी के सदस्य सचिव अरुण कुमार पांडे ने कलेक्टर बिलासपुर व जिला वेटलैंड संरक्षण समिति के पदेन अध्यक्ष को जांच के आदेश देते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

आईलैंड पर ग्लास हाउस रेस्टोरेंट और बांध के समीप कॉटेज निर्माण
छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड की ओर से खूंटाघाट वेटलैंड के आईलैंड पर जल संसाधन विभाग के माध्यम से 2 करोड़ 95 लाख रुपए की लागत से एक ग्लास हाउस रेस्टोरेंट का निर्माण प्रस्तावित किया है। निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड ने प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दिया है। साथ ही 10 लाख रुपए की अग्रिम राशि के साथ सैंक्शन ऑर्डर भी जारी किया है, जिसके बाद भूमि पूजन कर निर्माण कार्य शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। यहां पर स्थाई प्रकृति का निर्माण होगा, जिसमे कंक्रीट, सीमेंट, ब्रिक्स जुडाई, खुदाई, बोअरिंग इत्यादि कराए जाएंगे।

ग्लास हाउस और रेस्टोरेंट बनाने के लिए चार माह पहले किया गया था भूमिपूजन।

क्या है वेटलैंड और क्या है वेटलैंड नियम
देश में करीब दो लाख ऐसी वेटलैंड (आद्रभूमि) हैं, जो कि 2.25 हेक्टर से बड़ी है। छत्तीसगढ़ में ऐसी 7711 वेटलैंड है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेशित किया है कि इसे अधिसूचित वेटलैंड माना जाएगा, जहां पर आद्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017 के नियम 4 लागू होंगे। वेटलैंड नियम 4 के तहत वेटलैंड पर किए जाने वाले प्रतिबंधित कार्यों की सूची दी गई है। जिसमें यह भी बताया है कि वेटलैंड पर वर्ष 2007 तक आई किसी भी बाढ़ का पानी जहां तक पहुंचा था, वहां से 50 मीटर आगे की दूरी तक, कोई भी स्थाई प्रकृति का निर्माण नहीं किया जा सकता है।

इस आदेश के अनुसार खूंटाघाट जलाशय अधिसूचित वेटलैंड है, जहां पर आद्रभूमि नियम लागू होता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रत्येक राज्य में राज्य वेटलैंड अथॉरिटी का गठन किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड अथॉरिटी ने छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले में वेटलैंड संरक्षण समिति का गठन किया है, जिसके अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं और सदस्य सचिव जिले के वनमंडल अधिकारी होते हैं।

प्रवासी पक्षियों का उजड़ जाएगा आशियाना
अरपा अर्पण महाभियान समिति के संयोजक श्याम मोहन दुबे ने कहा कि खारंग जलाशय के खूंटाघाट के टॉपू में विकास कार्य होने से हजारों पक्षियों का आशियाना उजड़ जाएगा। इस टॉपू में प्रवासी पक्षियों का डेरा रहता है। पर्यावरण की दृष्टि से दूर-दूर से पक्षियां यहां पहुंचती हैं। टॉपू में निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री के साथ ही पर्यटन मंडल के अध्यक्ष को भी पत्र लिखा गया था।

AAP ने भी किया था विरोध-प्रदर्शन
खूंटाघाट बांध के टॉपू में निर्माण कार्य कराने का आम आदमी पार्टी ने भी विरोध प्रदर्शन किया था। भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान वहां पहुंच कर पार्टी के पदाधिकारियों ने विरोध-प्रदर्शन कर नारेबाजी की थी। साथ ही पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपकर टॉपू को संरक्षित रखने की मांग की थी।

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