शेयर निवेशकों के लिए कैपिटल गेन का हिसाब जरूरी

आयकर विभाग की नई स्कीम: लंबित मामलों का समाधान
जैसे ही अक्टूबर का महीना शुरू हुआ, टैक्स संबंधी नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनका असर करदाताओं, निवेशकों और बांड धारकों पर पड़ेगा। नए नियमों के तहत केंद्रीय और राज्य बांड, साथ ही फ्लोटिंग रेट बांड पर मिलने वाले ब्याज पर 10 प्रतिशत टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) कटेगा। इससे निवेशकों को अपने ब्याज पर अधिक टीडीएस का सामना करना पड़ेगा।
शेयर निवेशकों को अब अपने सभी कैपिटल गेन का विवरण रखना अनिवार्य होगा, जिससे उन्हें अपने निवेश पर अधिक ध्यान देना पड़ेगा। आयकर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष चेतन तारवानी ने इन नियमों के प्रति जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया है।
इसके अलावा, 50,000 रुपये से अधिक का घर किराया देने वालों के लिए टीडीएस दर को पांच प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है, जो किरायेदारों के लिए राहत की बात है।
शेयरों के बायबैक पर डिविडेंड पर शेयर होल्डर लेवल टैक्स भी लागू किया जाएगा, जिससे निवेशकों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा।
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी धारकों को टीडीएस में कमी का फायदा होगा, जिसमें टीडीएस की दर को पांच प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत किया गया है।
आयकर विभाग ने एक अक्टूबर से विवाद से विश्वास 2.0 स्कीम शुरू की है, जो लंबित मामलों के समाधान में करदाताओं को मदद करेगी। इन बदलावों का उद्देश्य करदाताओं को बेहतर जानकारी और सुविधा प्रदान करना है।
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